शायद ये सांसे सिसक रही है
शायद ये सांसे सिसक रही है
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शायद ये सांसे सिसक रही हैं।
प्रियतम के लिए भटक रही हैं।।
प्रियतम अभी तक आए नही।
माथे की बिंदिया चटक रही है।।
हो न जाय कोई अब अनहोनी।
ये बात दिल में खटक रही है।।
मेरे सुहाग को कोई है खतरा।
ये मेरी चूड़ियां चटक रही है।।
आ जाए मेरे प्रियतम जल्दी।
जिनके जिंदगी निकट रही है।।
चल रही है मेरी अंतिम सांसे।
इसलिए गंगाजल सटक रही हैं।।
क्यो न आई मृत्यु अभी तक।
प्रीतम के लिए ये अटक रही है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम