शायद मैं गलत हूँ…
शायद मैं गलत हूँ…
शायद मैं गलत हूँ…
उस राह पर न रख कदम,
जिस पर सभी खुशहाल हैं।
साँसें थमी हर चाह पर,
पलकें झपी हर आह पर ।
क्युँ रुक गया उस मोड़ पर,
सपनें जहाँ वीरान हैं ।
शायद मैं गलत हूँ…
जब सिसकियाँ थमती नहीं,
हर शख्स के होंठों तलक ।
रब के दुआ की आस में,
मिलती हमेशा ठोकरें ।
तो क्युँ चलूँ इस राह पर,
जो खुद-ब-खुद बदहाल है।
शायद मैं गलत हूँ…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि -१७ /०९/२०२१
मोबाइल न. – 8757227201