*शायद काम आ जाए (मुक्तक)*
शायद काम आ जाए (मुक्तक)
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दुपहरी हो चुकी जीवन की कब ढल शाम आ जाए
रवाना स्वर्ग होने वालों में कब नाम आ जाए
समय बर्बाद काफी कर चुके दुनिया के पचड़ों में
भजो भगवान का शुभ नाम शायद काम आ जाए
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451