शाम सुहानी
विधा – दोहा छंद
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शाम सुहानी दे रही, प्यार भरा पैगाम।
कुछ-पल बैठे साथ में, इक-दूजे को थाम।। 1
जीवन भर यूँ ही बहे, प्यार भरी यह नाव।
तेरे नयनों में रहूँ, पाऊँ दिल में ठाँव ।। 2
तुम ही हो मंजिल पिया, तुम ही हो हमराह।
जीवन से बढ़कर मुझे, इक तेरी है चाह।। 3
मुझ पर रखना तुम सदा, प्यार भरा विश्वास।
देख कभी ना तोड़ना, जीवन की ये आस।। 4
आँधी, तूफाँ हो कभी,या जीवन मझधार।
साथी मुझको डर नहीं, जब तुम खेवनहार।। 5
तुम सा जो माँझी मिला, नहीं किनारा दूर।
जीवन बगिया खिल उठी, खुशी मिली भरपूर।। 6
लगे प्यार तेेरा मुझे, जैसे शीतल भोर।
दुनिया में है ही नहीं, तुम सा कोई और।। 7
जैसे खुश्बू फूल में, सागर संग तरंग।
वैसे ही है साथिया, तेरा मेरा संग।। 8
जब से दिल में तुम बसे, ओ मेरे मनमीत।
कोयल सा दिल गा उठा, मीठा कोई गीत।। 9
सजी हुई है चाँदनी, बड़ी सुहानी रात।
सपनों की बाहें खुली, कर ले प्यारी बात।। 10
सागर तट बैठे रहें, ले हाथों में हाथ।
जब थामें हो हाथ तो, सब दिन देना साथ।। 11
जब से हम करने लगे, दिल ही दिल में प्यार।
पता चला तब से मुझे, अपनी पहली हार।। 12
दिल के हाथों हो गये, हम इतने मजबूर।
तुम से पल भर के लिए, रहे नहीं हम दूर।। 13
प्रेम करूँ ऐसे तुझे, जैसे जल से मीन।
तुम बिन तन मेरा लगे, जैसे प्राण विहीन ।। 14
प्राण रहे,एकांत में,केवल तुम्हें पुकार।
नयनों में कितनी व्यथा, बहे अश्क की धार।। 15
सागर जैसा प्यार है , जिसका ओर न छोर।
युगों-युगों से है जुड़े, अपना जीवन डोर।। 16
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—लक्ष्मी सिंह ?☺