शाम सन्तरी
शाम संतरी
सुनो !
बना दो
रात रसीली …
गिरे न
उल्का पिण्ड,
भाग्य पर
मेरे आकर ।
शुभाति-शुभ
हो चन्द्र,
मुझे लगे
आज दिवाकर ।।
खिले चाँदनी
मन की,
बजे जो
राग सुरीली..l
तन का
कोना कोना
खुलकर
मुस्काए ।
जगमग
प्रेम- सितारे
डूबें उतराएँ॥
नींद रात
सपने सब
मेरी बने
नशीली…।