शाम को होते देख, में मुरझा गया…..
शाम को होते देख,
में मुरझा गया,
खुद से कुछ
सवाल करता गया,
मेने गुजार दिया
आज का जीना,
अब कल का सोच
रहा हूं आना-जाना,
आज जो था वक्त
उसे वापस कैसे लाऊ,
नही मेरे पास उसका
कोई लेखा-जोखा,
मेरी अपनी दुकान भी
बंद हो गई,
रात होने को है, शाम
जाने को देख रहा हूं,
फिर अंधेरी रात में
कोई सपना मेरे साथ में,
जीना-मरना सब दिखाएंगे
मुझे कुछ कहने से
पहले ही चला जाएगा,
रात गुजर जाएगी और में
नींद में गुजर हो जाऊँगा,
में यही कहते-कहते फिर
आज सो गया,
हालात में मारे में बस
यही मेरा कल हो गया…!!
-मन, मनीष कलाल
डूंगरपुर, राजस्थान
8003315586