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12 Feb 2018 · 1 min read

शाम की गोधूलि बेला

सालो बाद गांव जाने का मौका मिला। प्राकृति के नैसर्गिक सौन्दर्यै की निहारना ,हर पल को आनंदमय बना रहा था। दिल को एक आंतरिक ख़ुशी और शुकुन भर रहा था।

ढलती हुई शाम की गोधूलि बेला …….
घरो से उठता चूल्हे का धुआं …..
घर लौटते पंछियों की चहचहाट….
नवंबर की मखमली पवन….
कच्ची पगडंडियो पे खेलते बच्चे …
पेड़ के नीचे बैठ बतियएते बुजुर्गो का झुण्ड।
पेड़ की झुरमुठ से झांकती सूरज की तिरछी किरण।

Language: Hindi
6 Likes · 2 Comments · 1706 Views

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