शानदार हंसना रोना दोनों था
शानदार हंसना रोना दोनों था
मैंने हंसी को चुना
चेहरे की दीवार पे
गिरते मुस्कानों के परछाईं को
मैंने कभी नहीं गिना
~ सिद्धार्थ
जो गुजर गया वो ख़ाब था
जिसका इंतजार है
वो जीवन का असबाब है
~ सिद्धार्थ
शानदार हंसना रोना दोनों था
मैंने हंसी को चुना
चेहरे की दीवार पे
गिरते मुस्कानों के परछाईं को
मैंने कभी नहीं गिना
~ सिद्धार्थ
जो गुजर गया वो ख़ाब था
जिसका इंतजार है
वो जीवन का असबाब है
~ सिद्धार्थ