शादी के साइड इफेक्ट्स
——-शादी के साइड इफैक्ट——
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शादी को कहें मोतीचूर का लड्डू
वो भी पछताए जो खाता है लड्डू
वो भी पछताए जो ना खाए लड्डू
प्रेमबंधन का कैसा अनोखा लड्डू
विवाह के बिना कोई गति नहीं है
विवाह उपरांत चलती मति नहीं हैं
बिगड़े जो स्थिति ऐसी क्षति नहीं है
तब भयानक सा हो जाए ये लड्डू
शादी होती है एक अनमोल खजाना
बनें माता पिता दादा दादी नानी नाना
ऐसा नहीं होता है कहीं सफर सुहाना
खुशियों भरा तब कहलाता यह लड्डू
घर बार छोड़ कर नारी नए घर आती
अपने पराए नये पुराने रिश्ते निभाती
फिर भी वह बेचारी पराई ही कहलाती
कहीं भी नहीं उसका टिक पाए लड्डू
जो रहे कुंवारा वह कहें कर्मों का मारा
भटकता रहे उसका नहीं ठौर ठिकाना
दर बिन बेदर बन फिरता है मारा मारा
कहीं भी कैसा भी नहीं मिलता लड्डू
शादीशुदा का भी नही आसान जीवन
संघर्ष,संकठ और चुनौती भरा जीवन
गृहस्थ जीवन बहुत हैं सुखमय जीवन
जीवन- रंगों के दर्शन कराता है लड्डू
संसारिक सभी हैं सुख दुख मिल पाते
जीवन में सभी रिश्ते मिलते,निभ पाते
जीने के अवसर मकसद हैं मिल पाते
सुखविंद्र जिम्मेदारी भरा शादी लड्डू
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)