*शादी की जो आयु थी, अब पढ़ने की आयु (कुंडलिया)*
शादी की जो आयु थी, अब पढ़ने की आयु (कुंडलिया)
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शादी की जो आयु थी, अब पढ़ने की आयु
शिक्षा के अनुकूल हो, नारी को जलवायु
नारी को जलवायु, पढ़ाऍं सब जन ज्यादा
यही समय की मॉंग, समय का यही तकादा
कहते रवि कविराय, नहीं छीनें आजादी
लड़की भरे उड़ान, पढ़े फिर करिए शादी
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451