भगतसिंह को समर्पित
चूस-कर ख़ून अवाम का
कैसे लाल हुए जाते हैं वे
कंगाल हुआ जाता है देश
मालामाल हुए जाते हैं वे…
(१)
मज़दूर से किसान और
विद्यार्थी से फनकार तक
सभी को बदहाल करके
खुशहाल हुए जाते हैं वे…
(२)
क़ानून और व्यवस्था का
ग़लत इस्तेमाल करके
प्रदर्शनकारियों के जी के
जंजाल हुए जाते हैं वे…
(३)
क़ौमी यकजेहती और
भाईचारा की राह में
फिरकापरस्ती की ऊंची
दीवाल हुए जाते हैं वे…
(४)
सदियों की गुलामी से
छिनी हुई आज़ादी के लिए
अब तो करो या मरो जैसा
एक सवाल हुए जाते हैं वे…
(५)
लोकतंत्र की अजमत को
अर्श से-फर्श पर ले आकर
ज़रा देखो तो, ऐ भगतसिंह
कितने निहाल हुए जाते हैं वे…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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