शा’इर ग़ालिब सबसे आला
22 + 22 + 22 + 22
शा’इर ग़ालिब सबसे आला
चाचा का हर शेर निराला
याद हमें दीवाने-ग़ालिब
उस्तादे-अदब* से पड़ा पाला
है कठिन बहुत ग़ज़लें कहना
शे’र नहीं, लफ़्ज़ों की ख़ाला**
ग़ालिब जैसा शेर कहो तो
खुल जाय मियाँ अक्ल का ताला
उस्ताद को जो मुश्क़िल कहते
उनकी अक्ल है मकड़ी ज़ाला
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*उस्तादे-अदब — साहित्य गुरू से
**ख़ाला — मौसी
आज अज़ीम शा’इर मिर्ज़ा ग़ालिब की पुण्य तिथि (15 फ़रवरी) पर विशेष