“शांत चित्त हाँ भारतम्” ️
तुम्हारे धड़कनों की आग से मिला जो वो कहीं
जल उठी हाँ हर शिला
दीप बन यहीं वहीं
?
पुकारता जो मध्य है
आरंभ के प्रवाह में
साथ चल के लिख रहा
सुर्य की गति को वो
?
समझ लो शाम धुप है
चंद्र के पायदान पे
पुष्पांजली सा वो कहीं तारों का मौन आचमन
?️
लिख सकेगा; लिख सकेगा,; लिख सकेगा काल को
आरंभ ये तुम्हारा हाँ आरंभ ये हमारा हाँ
??
चल सको तो प्राण ये तुम्हारा है हाँ आचमन
जीत लो जहाँ को तुम शांत चित्त हाँ भारतम्
शांत चित्त हाँ भारतम् ??
©दामिनी ✍? ? ☀️ ? ?