शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
क्यों राम नाम मचा रहे हो, तुम इतना कोहराम रे
क्यों जन जन की भावनाओं को, बयानों से भड़काते हो
जो कण कण में वसते हैं, निमंत्रण उनका ठुकराते हो
हिन्दू मुस्लिम करते करते,देश को तुमने बांट दिया
राजनीति और वोट के खातिर, बहुत बड़ा अपराध किया
आज भी तुम वोटों के कारण, क्यों बांट रहे हे राम रे
जनता को भ्रमित करने का, करते हो क्यों काम रे
काश एक साथ मिलकर, तुम राम के मंदिर आते
जन-मन के तुम साथ बैठकर, खुशियां आनंद मनाते
रामराज्य की उत्कृष्ट नीतियां, दुनिया में फैलाते
सांप्रदायिक सदभाव और आपसी प्रेम बढ़ाते
क्यों बात अनर्गल करते हो, शर्म शर्म हे राम रे
क्यों राम के नाम पर तुम, मचा रहे कोहराम रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी