शहीद वीर
काॅप उठा अम्बर भी देखो धरती अश्क वहा उठी कैसी ये मुश्किल आई चारो और पुकार पडी।। दहल गये हदय होगे। प्रकृति भी मुह मोड खडी। । सन सन करती पवनो में। । अवलाओ की चीख भरी। ।। नीर उछलता लहरे भी कुछ कहती हे।। धरा हदय भी विहवल है। खग गुजन में एक शोर भरा। । पर्वत शिला कुछ कहती हे। । जो वीर भये वो स्वर्ग गये।। गूज भरी अवलाओ की।।। शिथिल हुये माॅ के सीने। । बेटो के बलिदानो पर। ।।