Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2022 · 3 min read

शहीद बनकर जब वह घर लौटा

फोन की घंटी बजी।
पत्नी ने उठाई।
उधर से अफसोस जताते हुए,
एक आवाज आई।
हमारे सैनिक भाई शहीद
हो गये हैं।

पत्नी बेचारी बेसुध सी हो गई
वह क्या बोले समझ मे नहीं आ रहा था।
वह फोन रख वही बैठ गई।
बिटिया घर से बाहर खेलने गई थी।
और सासू माँ दरवाजे पर ही बैठी थी।
किसको कैसे बताएं समझ मे नही आ रहा था।
यह सब सुन जैसे उसको होश ही नहीं था।

इधर थोड़ी देर में बेटी की आवाज आई ।
माँ देखो तिरंगे में लिपटा दरवाज़े पर,
एक बॉक्स आया है।
लोगों ने उसे फूलों से खूब सजाया है।

माँ देखों बाजा वाला भी आया हैं।
देखो उसने कैसा धून बजाया है ।
ऐसा लग रहा है मानों
आज किसी की विदाई है ।

इतना कहते-कहते बेटी,
माँ को दरवाजे पर खींच लाई।
पत्नी को अभी भी कहाँ होश था।
लेकिन बॉक्स देखते ही उसकी आँखे भर आई।

वह फूट-फूट कर रोने लगी,
और बोली बेटी इसमें तेरे पापा हैं,
इतना सुनते ही बेटी बॉक्स की तरफ
दौड़ती हुई जाती है,
और जाके अपने पापा से लिपट जाती है।

लौट कर आ जाओ पापा
वह बार- बार चिल्लाती हैं।
आखिर उसकी उम्र ही क्या थी।
अभी-अभी तो आठ वर्ष की हुई थी।

पापा ने कहा था की जब आऊँगा
तब तुम्हारे जन्म दिन का तोहफा दूंगा।
वह तो अभी इसी इंतजार में बैठी थी।
उसे तो यह समझ में ही न आ रहा था।
यह क्या हो रहा है।

बेटी बोली पापा आज ही सुबह में तो
मैंने आपसे बात की थी।
आपने उस समय तो मुझे डाँटा नही,
फिर क्यो रूठ गये।

सबने उसे बताया की पापा शहीद हो गये हैं।
यह तुमसे नहीं रूठे है।
भला कोई इतनी प्यारी बेटी से
कोई रूठता है।

यह सुनकर वह चूप हो गई और
सबकी बात सुनने लगी।
अनायास ही बोल परी!
पापा आपके दुश्मनों से लड़ने मैं जाऊँगी
आपके दुशमन भी अब काँप जाएंगे
जब सरहद पर बेटे संग बेटी भी लड़ने जाएगी।

यह कहकर बेटी चूपचाप पापा के पैरों तले बैठ गई
और धीरे से बोली पापा मुझे आप पर गर्व है।

उधर एक कोने में पड़ी सैनिक की माँ
जो बेसुध पड़ी थी ।
धीरे से बोली मेरे लाल को क्या हो गया।
बस एक ही बात रट रही थी।

किसी ने बोला की दुश्मन देश के किसी आतंकी ने गोली चलाई है।
माँ ने सर उठाया और पूछा!
मेरे बेटे ने पीठ तो नहीं दिखाई ।
उसने छाती पर गोली खाई है ना।

सबने बोला नही- नहीं अम्मा,
उन्होंने तो वीरता का
एक अद्भुत मिसाल दिया हैं।
और कई दुशमनो को धूल चटा दिया है।

माँ ने बोला तब ठीक है,
कम से कम मैं शेर की माँ तो कहलाऊँगी।
दुशमन देश की तरह गीदर की माँ तो मैं नही कहलाऊँगी।
जो पीठ पीछे वार करता है।

माँ के आवाज मे
एक अलग सा तेज दिख रहा था।
इतने में माँ की आवाज फिर आई।
बोली हे ईश्वर, मुझे यहाँ से ले चलो ।

इसलिए नहीं की मेरा बेटा चला गया।
बल्कि इसलिए की मैं फिर से
इसी धरती पर जन्म लेकर ,
दूबारा अपने बेटे को जन्म दे सकूँ।
ताकि हमारे देश का एक भी
सैनिक कम न हो सके।

उधर बेसुध पड़ी पत्नी
जो अपने पति का चेहरा निहार रही थी
सहसा बोल उठी भले ही आप चले गये यहाँ से।
पर मैं अपने माँग की सिन्दुर न हटाउँगीं।
यह आपकी निशानी हैं।
इसे में जीवन भर लगाऊंगी।

सात जन्मों का वादा आपसे किया था।
एक जन्म में इसे कैसे तोड़ दूंगी।
मैं शहीद की पत्नी हूँ ।
न हार मांनूगी और न ही वादा तोडूंगी

फिर आप ही तो कहते थे कि शहीद की पत्नी
कभी विधवा नहीं होती हैं।
उसके सर पर हमेशा
तिरंगे का ताज होता हैं ।
मैं अपने सर से तिरंगे का ताज कैसे हटाउँगी?

आपकी बलिदानी पर गर्व हैं मुझे।
इसलिए मैं अपने माँग में
यह सिंदूर हमेशा सजाऊँगी
जय हिंद, जय जय जय हिंद।
~ अनामिका

Language: Hindi
5 Likes · 9 Comments · 437 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुदरत
कुदरत
Neeraj Agarwal
नाकाम मुहब्बत
नाकाम मुहब्बत
Shekhar Chandra Mitra
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
रमेशराज की 3 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
अंधभक्ति
अंधभक्ति
मनोज कर्ण
*राम मेरे तुम बन आओ*
*राम मेरे तुम बन आओ*
Poonam Matia
तेरी याद
तेरी याद
SURYA PRAKASH SHARMA
मोनू बंदर का बदला
मोनू बंदर का बदला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल _ सरकार आ गए हैं , सरकार आ गए हैं ,
ग़ज़ल _ सरकार आ गए हैं , सरकार आ गए हैं ,
Neelofar Khan
बदलते वख़्त के मिज़ाज़
बदलते वख़्त के मिज़ाज़
Atul "Krishn"
तन से अपने वसन घटाकर
तन से अपने वसन घटाकर
Suryakant Dwivedi
"श्री शक्ति साधना साहित्य सम्मान" से रूपेश को नवाज़ा गया'
रुपेश कुमार
बना है राम का मंदिर, करो जयकार - अभिनंदन
बना है राम का मंदिर, करो जयकार - अभिनंदन
Dr Archana Gupta
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
Paras Nath Jha
अलविदा नहीं
अलविदा नहीं
Pratibha Pandey
आम के छांव
आम के छांव
Santosh kumar Miri
महफ़िल जो आए
महफ़िल जो आए
हिमांशु Kulshrestha
#लघु_व्यंग्य-
#लघु_व्यंग्य-
*प्रणय*
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Peace peace
Peace peace
Poonam Sharma
इस जग में है प्रीत की,
इस जग में है प्रीत की,
sushil sarna
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
पूर्वार्थ
3312.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3312.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*कुत्ते चढ़ते गोद में, मानो प्रिय का साथ (कुंडलिया)*
*कुत्ते चढ़ते गोद में, मानो प्रिय का साथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सबको निरूत्तर कर दो
सबको निरूत्तर कर दो
Dr fauzia Naseem shad
शरणागति
शरणागति
Dr. Upasana Pandey
शाम हुई, नन्हें परिंदे घर लौट आते हैं,
शाम हुई, नन्हें परिंदे घर लौट आते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
प्रेम मे सबसे  खूबसूरत  चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश ह
प्रेम मे सबसे खूबसूरत चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"हार्ड वर्क"
Dr. Kishan tandon kranti
उनसे कहना ज़रा दरवाजे को बंद रखा करें ।
उनसे कहना ज़रा दरवाजे को बंद रखा करें ।
Phool gufran
Loading...