शहीद की आत्मा
मैं शहीद की आत्मा
आज अपनी अर्जी
लगा रहा हूँ ।
अपनी फरियाद लेकर
अपने देशवासियों के
बीच आया हूँ ।
जब तक जिंदा था में
देश के लिए जीता था।
देश की सेवा को अपना
मै पहला धर्म समझता था।
देश की सेवा में अपना
जी जान लगा देता था।
इस बात का गर्व है हमें
मै देश के लिए शहीद हुआ था।
देश की मिट्टी के लिए मैने
अपना सर्वस्य दे दिया था ।
जब में शहीद हुआ देश के लिए,
तो सारे देशवासियों ने मुझे
अपने सर आँखो पर बैठाया था।
सारे समाचार पत्र वाले ने
मेरे बलिदानों को किस्सा
बढ – चढ कर सुनाया था।
कई लोगो ने तो मुझ पर
कई कशिदे गाए थे ।
मेरे परिवार की तस्वीर
हर जगह पर दिखलाएँ थे।
लोगों ने शहीद की माँ, पिता
पत्नी, बहन, बच्चे के रूप में
हर जगह उन्हें मिलवाया था।
आप सब देशवासियों ने हर जगह,
जगह उन्हें काफी सराहा था।
पर कुछ दिन हुए नहीं की
आप सब लोग हमें भुल गए।
भुल गए मेरे परिवार को
जो मेरे गम में आज भी
दर्द के साथ जी रहे है।
पग पग पर मेरे न होने के
एहसास से
अपने में ही मरते जा रहे है।
अब वह किस हाल में है
कोई उन्हें देखने नही रहा है।
जब हम कोई फिल्म
मुझ पर बनती है।
उसे आप बढ़-चढ़कर
देखने जाते हो।
पर आप मुझे नही
मेरे चरित्र को निभाने वाले
अभिनेता को याद रखते हो।
आप मेरे परिवार को नही
बल्कि उस फिल्म में दिखाए
जाने वाले परिवार को याद
रखते हो।
भूल जाते हो हमें
जो इस चरित्र का असली
हकदार था।
भूल जाते हो मेरे परिवार को।
जो इसका हकदार था।
बस याद रखते हो तो
फिल्म द्वारा बनाए हुए
मेरे बनावटी जीवन को।
आप इसे विनती कहे
या कहे मेरी फरियाद
पर आप सबसे इतनी
गुजारिश है मेरी।
मत भूल जाइए हमें
और हमारे परिवार को
कुछ दिनों पर ही सही
उनकी खैर खबर लेते रहना।
घर में परे है मेरे बुढे माँ – बाप है।
जिसको कभी आपने शेर के
माँ बाप का रूप दुनियाँ
सामने लाया था।
उनके जज्बातों की किस्सा
खुब सुनाया था।
आज वह अपने घर में
बेटे के गम में बेसुद्ध से परे हैं।
कोई जाकर उनसे
खैर-खबर ले लेना।
बेटे के जाने का गम का
एहसास थोड़ा कम कर देना।
मेरी पत्नी जो अकेले
जुझती है घर चलाने को।
कोई जाकर थोड़ी सी
उसकी मदद कर देना ।
मेरे न होने के गम मे
दोस्त, भाई बनकर बाँट लेना।
मेरे बच्चों को पिता न
होने का एहसास जरा
कम कर देना ।
कोई जाकर उसके संग बैठकर
उसके दर्द को कम कर देना।
आगे क्या करना है
थोड़ा सी राह दिखाना ।
मेरी बहन जो आज भी
बैठी है भाई के इंतजार में।
बस इतनी गुजारिश है आपसे
कोई उससे जाकर राखी
को बँधवा लेना।
भाई के न होने का गम
थोड़ा सा कम कर देना।
बस इतनी फरियाद है
आपसे
हमें न आप सब भूल जाना ,
और कुछ दिनों पर ही सही
मेरे परिवार का खेर-खबर
ले आना।
~ अनामिका