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11 Jan 2018 · 1 min read

शहीद की अंतिम यात्रा

सागर का पानी कम पड़ गया होगा,
जब नयी नवेली दुल्हन ने मेहन्दी उतारी होगी.

उस बहन के आँसू कैसे थमे होंगे,
कलाई में कुछ दिन पहले राखी बाँधी थी.

माँ की आँखों में सैलाब आया होगा,
जिसकी कोख सीमा पर न्यौछावर हुई.

बुढापे का सहारे को कांधा देते वक्त,
बुढे पिता का कलेजा मुँह को आया होगा.

टाफी,चाकलेट का इंतजार करते बच्चों को,
किसने और कैसे दिलासा दिया होगा.

शत-शत नमन जो हँसते हुए चले गये,
इस पावन धरा को सुरक्षित कर अलविदा कह गये.

अपना कर्तव्य पूरा कर वो शहीद हो गये,
इस देश,समाज को ऋणी कर गये.

दीवाली से पहले ही घरों के दीये बुझ गये,
हर आँख को नम कर अंतिम यात्रा पर चले गये.

©® आरती लोहनी

Language: Hindi
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