शहीदों के मजारों पर
देखना हरगिज़
आ न पाएं
वहशी क़ातिल
पास इनके!
एक फ़ूल इन्हें
चढ़ा न पाएं
लहू से लथपथ
हाथ उनके!!
जंगल से लेकर
ज़मीन तक
जिन्होंने सब
बेच दिया!
जो अवाम के
हुए नहीं
वे कैसे होंगे
ख़ास इनके!!
Shekhar Chandra Mitra
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