शहीदों के नाम
आल्हा छंद
हँसते हँसते झूल गये थे,
जो फाँसी का फंदा डाल।
आँखों में था नेह मातु का,
था वो भारत माँ का लाल।।
देशभक्ति का बना उदाहरण,
बने फिरंगी को वो काल।
कुछ गद्दारों ने मिलकर के,
उनका जीवन किया निढाल।।
राजगुरू सुखदेव भगतसिंह,
भारत माँ के सुघढ़ सपूत।
इनकी रक्षा करने वाले,
नायक निकले निरे कपूत।।
पता नहीं किससे खायी थी,
बनकर के जयचंदी घूस।
मरने को क्यों छोड़ दिया था,
किया नहीं था दुख महसूस।।
जन गण मन के नायक बनकर,
न्याय भरी न की थी बात।
समझ आ सका आज देश को,
किया देशभक्तों संग घात।।
चौराहों पर खडा़ करो मत,
सब मिल कर कर लो सम्मान।
क्रांति वीर बलिदानी ही हैं,
भारत माता की पहचान।।
कौशल कुमार पाण्डेय “आस”
23 – 3 – 2018 ; शुक्रवार ।