शहीदों की शहादत
दिनांक 12/4/19
इतने हो गये है
स्वार्थीं आज हम
अपने अपनों की
शहादत को भी
जाते है भूल
हुए थे शहीद
बच्चे बूढ़े
महिलाएं बुजुर्ग
कहलाया था
वो जलियांवाला बाग
भूल जाते है
भगत आजाद को
नहीं दिखते
शहीदों के
सूने घर
विधवाओं की
सूनी मांग
हर भारतीयों की
आँखे है आज नम
नहीं भूलेगे
शहादत कभी
हर शहीद भारतीयों की
बोलेगे सब
आज एक स्वर में
“वन्देमातरम”
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल