{शहादत :- शूरवीरों की}
तोहफ़े में गुलाब भेजता कोई,
तो कोई शराब भेजता है।
पर सबसे दानी तो वो बाप है जनाब!
जो सरहद पर अपना नवाब भेजता है।
सूरमाओं के वीरगाथा को सुनकर,
अब भी वो जीवंत मंज़र दिखनें लगता है।
कारगिल विजय दिवस पर शूरवीरों के बलिदानी के संग,
कई दिलों में मातम वाली यादों का खंज़र चुभनें लगता है।
-रेखा “मंजुलाहृदय”