शहर-शहर घूमता हूं।
शहर-शहर घूमता हूं तेरी एक झलक के लिए।
हर सुबह ही तैयार होता हूं इक अंजाने सफर के लिए।।
खामों खाँ नज़रें उठती हैं महफिल में सभी पे।
काश दिख जाए तू यूं ही बस खैर-औ-खबर के लिए।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
शहर-शहर घूमता हूं तेरी एक झलक के लिए।
हर सुबह ही तैयार होता हूं इक अंजाने सफर के लिए।।
खामों खाँ नज़रें उठती हैं महफिल में सभी पे।
काश दिख जाए तू यूं ही बस खैर-औ-खबर के लिए।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️