शहर में बिखरी है सनसनी सी ,
शहर में बिखरी है सनसनी सी ,
कुछ माहौल भी गमजदा सा है ।
मेरी आंखें हैं शमशान जैसी ,
ख्वाब फिर से कोई मरा सा है ।
मंजू सागर
गाजियाबाद
शहर में बिखरी है सनसनी सी ,
कुछ माहौल भी गमजदा सा है ।
मेरी आंखें हैं शमशान जैसी ,
ख्वाब फिर से कोई मरा सा है ।
मंजू सागर
गाजियाबाद