शहर में क्या रखा है ,आ जाओ ना गाँव मे
शहर में छाले पड़ जाते है जिन्दगी के पाँव में,
सुकून का जीवन बिताना है तो आ जाओ गाँव में,
चहचहाती किलकारियों से भरी चिड़ियों की आवाज ,यही देखो गाँव मे भोर का आगाज ,
सरसो हैं गन्ना है और हैं गेंहू के लहराते डार ,सुबह शाम देखो भईया सास -बहू के रार ,
आ जाओ ना गाँव मे ।