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12 May 2024 · 1 min read

शहर के लोग

शहर बड़ा और दिल छोटा है इनका, ऐसा मेरी मां कहती है,
दिल तो गांवों में बसता है,
जहां हर कोई अपना सा लगता है,
की वादे वफा निभाने का हर हुनर जानते हैं,
हर कोई हर किसी को बिन मतलब पहचानते हैं,
और बात करते हो शहरों की,
जहां रस्ता भी पूछो किसी से,
तो हंस कर टालते हैं।
दिल छोटा है इनका और मजिलें कई हैं इमारतों की,
गर मतलब ना हो किसी से,
तो क्या वजह है रफाकतों की?
यहां रिश्ते नाते प्यार वफा सब झूठे हैं,
लोग यहां अपने ही अपनों से रूठे हैं,
कैसे अब समझाए कोई इन्हें?
कि नहीं चलती जिंदगी सिर्फ चार पैसे कमाने से,
राज जिंदगी का छुपा है एक दूजे के पास आने में।

Language: Hindi
113 Views
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