शहनाई
******शहनाई**********
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मयखाने में रौनक आई हैं
बज रही कहीं पर शहनाई है
आँखों मे छाई है मयकशी
गम भूल जाने की दवाई है
कसमें, वादे सभी परस्त हुए
दिल टूटने की आहट आई है
फूल सा चेहरा बुझा हुआ सा
खुशियाँ गमों में समाई है
जिन्दगी से प्यार है हार गया
प्रीत की रीत चलती आई है
चाँदनी रात में चाँद है कहाँ
रात को काली घटा छाई है
बादलों में धूप छिप है गई
आँसुओं की बरसात आई है
दिल का शीशा है टूट गया
भनक कोई नहीं लग पाई है
हीर-रांझा फिर से दोहराई
प्यार की हो गई रुसवाई है
प्रेम -विरह दर्द बहुत देता है
प्रेम रोग की नहीं दवाई है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)