शस्त्र उठाना होगा
जियो और जीने दो कहने वाले
वीर के शासन में जी रहे है हम।
जबरन कब्जा होता है मंदिरों पर
देख कर कड़वे घूंट पी रहे है हम।।
अहिंसा के पथ के राही है हम
मगर मंदिरों को भी बचाना होगा।
शास्त्र उठाए हैं हाथों में अब तक
अब मिल शस्त्र भी उठाना होगा।।
जैन बौद्ध या फिर हैं हम सनातनी
घर में छिप कर अब नही बैठ सकते।
आओ सब मिल कर निकलो घर से
मंदिरों पर वार अब सह नही सकते।।
माना कि हम हिन्दू हैं तिलक धारी हैं
ये सिर्फ तिलक नही विजय की निशानी है।
भरी है वीरों सी शक्ति इन भुजाओं में
एकता की ताकत अब हमको दिखानी है।।
सिंहनाद सी गूंज है हिन्दू के जयकारों में।
नारों का शोर मच रहा हर गली गलियारों में।।
उठो, जागो, निकलो घर से अब यही पुकार है।
मंदिरों पर जबरन कब्जा हमें नही स्वीकार है।।