Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2024 · 1 min read

शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है दोस्तों यहां पर,

शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है दोस्तों यहां पर,
हमें ज़िंदगी ने खाली हाथ जो भेजा है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

112 Views

You may also like these posts

अब आए हो तो कुछ नया करना
अब आए हो तो कुछ नया करना
Jyoti Roshni
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
- जिंदगानी की कहानी -
- जिंदगानी की कहानी -
bharat gehlot
*मेरे दिल में आ जाना*
*मेरे दिल में आ जाना*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
विषय-तिरंगे में लिपटा शहीद।
विषय-तिरंगे में लिपटा शहीद।
Priya princess panwar
मैं दिया बन जल उठूँगी
मैं दिया बन जल उठूँगी
Saraswati Bajpai
2697.*पूर्णिका*
2697.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आधुनिक दोहे
आधुनिक दोहे
Nitesh Shah
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तू रहोगी मेरे घर में मेरे साथ हमें पता है,
तू रहोगी मेरे घर में मेरे साथ हमें पता है,
Dr. Man Mohan Krishna
या तुझको याद करूं
या तुझको याद करूं
डॉ. एकान्त नेगी
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
Abhishek Soni
■ ऋणम कृत्वा घृतं पिवेत।।
■ ऋणम कृत्वा घृतं पिवेत।।
*प्रणय*
जून की कड़ी दुपहरी
जून की कड़ी दुपहरी
Awadhesh Singh
वस्तुएं महंगी नही आप गरीब है जैसे ही आपकी आय बढ़ेगी आपको हर
वस्तुएं महंगी नही आप गरीब है जैसे ही आपकी आय बढ़ेगी आपको हर
Rj Anand Prajapati
वामा हूं
वामा हूं
indu parashar
मोबाइल
मोबाइल
पूर्वार्थ
"कथा" - व्यथा की लिखना - मुश्किल है
Atul "Krishn"
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
Ajit Kumar "Karn"
* खुशियां मनाएं *
* खुशियां मनाएं *
surenderpal vaidya
पिता
पिता
Nutan Das
गीत
गीत
Mangu singh
मेरा गांव
मेरा गांव
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
seema sharma
शायरी - संदीप ठाकुर
शायरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मन
मन
Neelam Sharma
इश्क बेहिसाब कीजिए
इश्क बेहिसाब कीजिए
साहित्य गौरव
त्रिपदा छंद
त्रिपदा छंद
Dr Archana Gupta
*डॉ मनमोहन शुक्ल की आशीष गजल वर्ष 1984*
*डॉ मनमोहन शुक्ल की आशीष गजल वर्ष 1984*
Ravi Prakash
Loading...