#शर्मनाक
#शर्मनाक
■ कहाँ गए करोड़ो के आयातित ड्रोन…? कहाँ गए करोड़ों के रॉकेट और मिसाइलें…? सवाल उस सिस्टम से है जो आज तीन दिन पुरानी कामयाबी के जश्न में मशगूल रहा सेना के एक मेजर, एक कर्नल, पुलिस के एक डीएसपी व एक जवान सहित एक जांबाज़ आर्मी डॉग (फीमेल) केंट के रूप में चार-चार सर्वोच्च बलिदानों के दौरान। सवाल तो उठता है कि उनके लिए क्यों उपलब्ध नहीं थीं बुलेट-प्रूफ़ जैकेट्स…? महज दो सुअरों के खात्मे के बदले 5 शेरों की मौत क्या अपार क्षति का पर्याय नहीं। लाखों-करोड़ों डॉलर्स में खरीदे गए उपकरण क्या नुमाइश के लिए हैं…? क्यों नहीं मांगता देश इन सवालों के जवाब…? क्या इसलिए कि अपना अनमोल जीवन सरहद की सुरक्षा में खपा देने वाले अफ़सर, जवान और बेज़ुबान जीव आपके परिवार का हिस्सा नहीं…? आख़िर कब तक चलेगा असहनीय पीड़ा का यह शर्मनाक दौर। है कोई जवाब किसी बड़बोले नेता या बयानवीर के पास…?
【प्रणय प्रभात】