शरारत कर दो
अपनी नशीली आंखों से शरारत कर दो.
मेरे टूटे लफ्जों को फिर से इबारत कर दो.
अपनी मोहब्बत बसाकर मेरे दिल में.
इस जिस्म ऐ खन्डर को इमारत कर दो.
शब ओ सहर रहो मेरे ख्वाब बनकर.
मेरे ख्यालों को तुम बशारत कर दो.
दिल के बदले लेकर दिल मेरा तुम.
बाजार ऐ इश्क में ये तिजारत कर दो.
देकर तपिश अपने सुर्ख लबों की जाना.
दीप की उखड़ी सांसों में हरारत भर दो.
✍️✍️…दीप
इबारत: लेख
बशारत: खुशख़बरी
तिजारत: व्यापार
हरारत: गर्मी
30 May, 2020
5:00 PM