शराब के नुकसान
शराब मनुष्य की विवेक को नष्ट करताहै।विवेकहीन मनुष्य समाज,परिवार और राष्ट्र केलिये घातक होता है ।दुनिया में जहां कहीं भी अपराध होता है उसके पीछे शराब की प्रेरणा होता है।शराबी का परिवारिक जीवन नष्ट हो जाता है,धीरे धीरे समाजिक जीवन भी नष्ट हो जाता है।हिंसा घृणा अश्लील भाषा का शिकार होकर न केवल अपने आर्थिक समाजिक नुकशान करता है,बल्कि अध्यात्मिक चेतना को भी नष्ट कर अंतत शरीर मन बुद्धि से हांथ धोकर लोगों से पैसा मांग कर शराब ही पीता है और ऐक दिन सभी परिजनों को छोड़ कर मोत को गले लगाता है।शराबी को अपने तरफ न सुझता है न अपने बारे सोचता है,वह दुनिया में सबको मक्कार मान कर सिर्फ अपने को ही श्रेष्ठ समझता है ।शराबी की माता पिता बेहाल पत्नी बेहाल बच्चे बेहाल परिजन बेहाल लेकिन वह अपने को सबसे अक्लमंद समझ लेता है।रस्सी जल कर भस्म हो जाती है,लेकिन ऐंठन नही जाता।यही कारण है कि सभी धर्मो में शराब निषेध है।शराबी कुछ भी पाप कर सकता है चाहे हत्या हो बलात्कार हो चोरी हो,और सिनाजोरी हो ये शराबी के पास का हथियार है।अतः पोस्ट को पढने वाले सभी बन्धुओं मित्रो चाहे कोई भी हों शराब पीते हैं तो छोड़ने की कोशिश करें नही तो सब कुछ छुट जायेगा माता पिता भाई बहन पत्नी बच्चे मित्र संत गुरू ।जो ईतना से अलग करना सकता है,उस दुश्मन को गले मत लगाओ।
कुछ लोग शराब को बाजीकरण ओषधी के रुप में अजमाते हैं,लेकिन सेक्सलोलुपता के कारण वह शराब का डोज बढ़ाते जाता है, और अंतत मर्दानगीबढ़ाने के चक्कर में नपुंसकता को प्राप्त कर लेता है, तब बीबी के चरित्र में संदेह करता हैमारपीट करता है, कभी ईसी सनक में पत्नी सहित बच्चों को भी मार डालता है।यह अपने से नियंत्रण खो बैठता है, सब में दोष देखता है,मानो उसकी दृष्टि ही दूषित होगये हों। Discovery of india में नेहरु जी ने ईसी बात को ऐक प्रसंग में लिखे थे,(शराब पीकर रमणी से संभोग में जो आनन्द मिलता है,वह तपस्या कर शरीर कोनष्ट करने वाले को क्या मिलता है।लेकिन शराब मूर्खों के लिये नही हैं।0.5Mlशराब जब हमारे रक्तमेंहोता है,तो येकार्यक्षमता को बढ़ाता है,मनको
प्रफुल्लित करता है ,स्वास्थ्य को सुधार देता है,लेकिन ईस मात्रा में शराब लेने वाले शराबी नही कहलाते।
फिर भी शराब.किसी भी रप में निन्दनीय ही है।शराब ब्रह्मतेज को भी नष्ट करदेता है।