शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
शराब की दुकान (व्यंग्य व्यंजन )
सरकार से मिला एक फरमान,
खुलेगी अब शराब की दुकान ।
नेता को आया सोते जागते सपना,
शराब पीने वालों को न होते कोरोना ।
जो मदिरा पीकर, हो जाते मस्त,
उन्हें न कर पाते कभी कोरोना पस्त ।
सोशल डिस्टेंस का उड़ा लो धज्जी,
मदिरा, मांस संग खा लो अमित वाली भुज्जी ।
कवि हरिवंश की पढी हमने भी मधुशाला,
घट घट चिंता न करते, हैं पीने वाला ।
डाक्टर पुलिस सफाई कर्मी,
दो जनता इनके कार्य में भी नर्मी ।
अब कोरोना के शूरवीर थक चुके हैं,
आला, कैंची, झाड़ू डंडा रख चुके हैं ।
जीवन मरण है ऊपर वालों के हाथ,
फिर क्यों न दें मद पीने वालों के साथ ।
जब मिल कर हमसब शराब,
कोरोना से कोरोना के होंगे चेन खराब ।
जितने गिरेंगे पड़ेंगे मधु की प्याला,
पड़ेंगे उतनें ही कोरोना वृद्धि में ताला ।
विना डिस्टेंस महामारी का चेन,
न ही करना होगा लाॅकडाऊन मेंटेन ।
कोरोना के कारण हो गई आर्थिक मंदी,
आकाशवाणी हुई दारू संग ही कर लो संधि ।
मधु का खुब चलाओ अर्थ बाजार,
आर्थिक संकट भी जाएंगे स्वयं ही हार ।
पीने वाले एक के बदले ले ले चार,
चोरी छिपे न देने होंगे रूपे हजार ।
हे भारतीयों!तेरे हाथ में है देश की आन,
तुहीं जानों कैसे बचाओगें, देश की जान ।
सरकार से मिला एक फरमान,
खुलेगी अब शराब की दुकान ।
उमा झा