शराबी की शायरी मरने के बाद
रोक दो मेरे जनाजे को,
मुझ में जान आ रही है।
आगे से जरा राइट ले लो
दारू की दुकान आ रही है।।
बोतले छिपा दो मेरे कफ़न मे,
श्मशान में रोज पिया करूंगा।
जब मांगेगा हिसाब ख़ुदा मेरे से,
उसको भी दो पेग दिया करूंगा।।
ले लो जब शराब की बोतले,
थोड़ा सा आगे जरा बढ़ना,
नमकीन वाला भी बैठा है,
उससे नमकीन लेकर चलना।।
पीता था जब मै अपने घर में,
हो जाता था मेरे घर में झगड़ा।
इत्मीनान से श्मशान में पियूंगा,
होगा नहीं कोई जरा वहां रगड़ा।।
मिल जाएंगे श्मशान मे भी,
दो चार साथी पीने वाले।
शान शौकत से हम पिएंगे,
क्या करेंगे अब घर वाले।।
जब आयेगा यहां कोई जनाजा,
उसका खैर मकदम हम करेंगे।
बिरादरी हमारी बढ़ जाएगी,
फिर हम क्यों किसी से डरेंगे।।
करते है सभी नशा इस दुनिया मे,
नशा करके मै गुनाह नहीं करता।
कोई शबाब का नशा करता है
कोई धन दौलत का नशा करता।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम