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18 Nov 2018 · 1 min read

शरमाई सी निगाहों में किसका खयाल है

शरमाई सी निगाहों में किसका खयाल है
रुखसार पर जो खिल रहा तेरे गुलाल है

होठों पे ताले डाल न तूफान रुक सका
आंखों के आँसुओं ने उठाया बवाल है

घोंपा छुरा है पीठ पे मिलते हुये गले
ये दोस्ती में दुश्मनी भी बेमिसाल है

होने लगी हैं बारिशें नफरत की अब बहुत
फिर भी यहाँ न प्यार का पड़ता अकाल है

जज्बात जब बिखरते सिमटते हैं फिर नहीं
उनकी जरूरी करनी यहाँ देख भाल है

अनजाने में जो ‘अर्चना’ हो जाती गलतियाँ
रह जाता उनका ज़िन्दगी भर ही मलाल है

18-11-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

5 Likes · 7 Comments · 526 Views
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