शरद का अहसास !
शरद को यूं तो एक ऋतु से जाना जाता है,
किन्तु शरद पर मनुष्य का अख्तियार ज्यादा है,
ऋतु तो वर्ष भर में एक बार आकर दे जाती है दस्तक,
लेकिन मनुष्य के रूप में उसकी उपस्थिति की अलग है खनक,
शरद के रूप में, अगर वह लेखक है तो उसकी महक है,
शरद के रूप में यदि वह व्यंग्यकार है तो उसकी कसक है
शरद यदि वह किसान है,तो शेतकारी के रूप में चटक है,
शरद के रूप में यदि वह नेता है तो, भ्रमित है,
भ्रमित एक नहीं अपितु दोनों ही हैं,
एक, समाजवादियों का द्योतक है, किन्तु उनसे विमुख भी ,
एक, कांग्रेसी है जिसे किसी से मतभेद भी है तो अनुराग भी,
यानिकि उसके मनुष्य के रूप में कई रुप हैं,
लेकिन ऋतु के रूप में एक ही रंग रुप है, शीतलता प्रदान करना,
ना किसी को हतोत्साहित करना ना किसी को उद्वेलित करना,
बस शीत बयार के संग संग थोड़ी सी ठंडक से सराबोर करना,
जाते हुए अपने पन का अहसास कराके बसंत के हवाले करना ,
मनुष्य से भाव विभोर होकर ,मनुष्य को अपने में समेटे रखना।
शरद अहसास है, ऋतु के रूप में,
शरद मानव है अनेकानेक रुपों में ।