शमां में जल गया जो हो वो मैं दीवाना हूँ
शमां में जल गया हो जो मैं वो परवाना हूँ
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तेरी दीवानगी में मैं , पागल दीवाना हूँ
तेरे प्यार की मस्ती में मस्त मस्ताना हूँ
तेरी मोहब्बत का मुझ पर असर तो देखो
तेरी एक झलक पाने को भूला ज़माना हूँ
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जाहिल समझता है,तो कोई शायर समझे
घायल दीवाने को , कोई कायर है समझे
मेरी सांसों में बसे हो, तुम इस कदर प्रिय
बसी हो फूलों में खुश्बू, जैसे महकाना हूँ
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सजता रहे मेरा सजदा , तेरी मोहब्बत में
चाहता हूँ सदा रहूँ ,तेरी संग सोहबत में
दीप जीवन का जगे मेरा सदा तेरी लौ से
शमाँ में जल गया हो जो मैं वो परवाना हूँ
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भटकता रहता हूँ सदा तेरी प्रेम गलियों में
खोया रहता हूँ सदा स्वप्निल रंगरलियों में
सुखविंद्र ढूँढता रहे, तुम्हें चाँद सितारों में
तारा टूटता नभ से , उसी का दीवाना हूँ
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)