शब्द
शब्द
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शब्दों की हैं रचना, शब्दों की उपासना
शब्द मेरे आराध्य, शब्दों के लिए मैं बाध्य
शब्द ही आदि हैं, शब्द ही हैं अंत
शब्द से हो वध्य, शब्द ही अवध्य।।1।।
शब्द से हो शब्द, शब्द बिना निशब्द
शब्द हूं मैं बोलता, शब्दों को मैं लिखता
शब्द ही हैं आस , शब्द हो सके विनाश
शब्द में भी स्वार्थ हैं, शब्द हो सके निस्वार्थ हैं।।2।।
शब्द तो श्लाघ्य हो, शब्द न अश्लाघ्य हो
शब्द तो सन्मार्ग है, शब्द से ही कुमार्ग हैं
शब्द कभी तीर बने, शब्द कभी तलवार बने
शब्द कभी मरहम बने, शब्द कभी आसार बने।।3।।
शब्द कभी राज़ बने, शब्द कभी हमराज बने
शब्द हमे हंसाते हैं, शब्द हमे रुलाते हैं
शब्द हमे जोड़ते हैं,शब्द हमे तोड़ते हैं
शब्द एक अस्त्र है, शब्द एक शस्त्र हैं।।4।।
शब्द है एक साधना , शब्द ही आराधना
शब्द ही धर्म में हैं, शब्द ही ईश्वर में हैं
शब्द ही लोक हैं,शब्द ही परलोक हैं
शब्द ही प्यार हैं, शब्दों पे जीवन निसार हैं।।5।।
मंदार गांगल “मानस”