शब्द
शब्द
शब्दों ने मुझे
सुबह के सूर्य के साथ
पक्षियों- सा चहचहाना सिखाया
शब्दों ने मुझे
बहार में फूलों की सुगंध-सा
महकना सिखाया
शब्दों से ही जान पाई
कैसे होती है इबादत
कैसे जुड़ा जा सकता है
आदमी से,
कैसे सीखते हैं आदमी की रिवायत
शब्दों ने ही सिखाया
सबका दुःख दर्द
शब्दों ने सिखाया
होना सबका हमदर्द
शब्द न होते तो
हर कोई गूंगा होता
न बनता कोई रत्न
न कोई मूंगा होता
ब्राह्माण्ड में गूंज रहा शब्द
अनहद नाद-सा
संगीत में ढल
दे रहा सकून
तनाव में दवाब में
सृष्टि की सरगम बन
खोल रहा रहस्य
उस परम की आभ बन।