शब्द
मन की व्याकुलता
तन की अभिलाषा तथा
आत्मिक अभिरुचियों को
अभिव्यक्त करने का
माध्यम होता है
“शब्द”
“शब्द” बोलता है
चिट्ठियों में ,पत्रियों में
समाचार पत्र और विज्ञापनों में अंकित
अक्षर के माध्यम से ।
“शब्द” खींचता है चित्र
संकेतात्मक
जब व्यक्ति गूंगा हो ।
“शब्द” भाषा की गहराई का मापक होता है।
“शब्द” मानवी संबंधो का आधार-सूत्र तथा
“शब्द” चित्रकार होता है
गढ़ता है नित्य नई मूरत
मानवी संवेदनाओं की
आत्मा की
परमात्मा की
समाज की
सच्चाई की
अच्छाई और बुराई की।
“शब्द” निर्जीव और निरर्थक होता है
जब सामने वाला व्यक्ति
सूर बधिर और गूंग हो
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सरफ़राज़ अहमद “आसी”