शब्द
तुम्हारा एक एक शब्द
उग आया था जो
कंटीली झाड़ियां बन
ह्रदय की ज़मीन पर,,
चुभने लगा था अब
तन मन और जीवन में…
उखाड़ फैंका है उन्हें
आज दूर, बहुत दूर और
बो दी हैं वहां
फूलों की नन्हीं कोंपलें
तुम्हारा एक एक शब्द
उग आया था जो
कंटीली झाड़ियां बन
ह्रदय की ज़मीन पर,,
चुभने लगा था अब
तन मन और जीवन में…
उखाड़ फैंका है उन्हें
आज दूर, बहुत दूर और
बो दी हैं वहां
फूलों की नन्हीं कोंपलें