शब्द
दंगे फसाद के बाद
वहां पसरी खामोशी में भी
सुनाई दे रही है
जले – अधजले मकान
और दुकानों की दास्तान
इसी खामोशी में दबी है
सूनी हुई कई मांगों की चीखें
उठते हुए धुंए में
गुम होते कई भविष्य
जानते हैं वहां मौजूद दोनों
नहीं है दोनों के पास
कहने के लिए कुछ भी
उनके अलावा भी है
कोई देख रहा
उनके बीच बढ़ते फासले
यह सब देखकर चुप ही रहेगा
और बढ़ चलेगा वह
दूसरी बस्ती की ओर
खामोश हैं शब्द………………….