शब्द हंसते हैं
शब्द हंसते हैं…
बन जाते हैं
हकीम ,मरहम
दवा और दुआ
दे जाते हैं खुशी
उम्र भर की ।।
शब्द रोते हैं….
टूटते हैं, बिखरते हैं
बन जाते हैं दरारें
बिगड़ते रिश्तों की ।।
शब्द गाते हैं…
गीत वफ़ा के
दोस्ती और समर्पण के
बन जाते प्यार
अपनों और गैरों का ।।
शब्द चीखते हैं…
काटते, नोचते
लहूलुहान करते हैं
तन को मन को
सम्पूर्ण अस्तित्व को ।।
शब्द सुनाते हैं…
कहानी अतीत की
बिना विचारे कुंती के बोलने की
द्रौपदी के पांचाली होने की ।।
शब्द चलते हैं…
बन कर साथी
निभाते हैं वफ़ा
उम्र भर और
उम्र के बाद भी ।।