Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2020 · 1 min read

शब्द रूप

कविता मेरी लेखनी से
फूट पड़ती है स्वतः
जाने अनजाने प्रभु कृपा से
खुद ही निकल आते हैं भाव
मन के जैसे किसी सूखे वृक्ष मेँ
अचानक कोँपले उग आए
हो ऐसा की घने से जंगल में
यकायक कटीली झाड़ियों से
जंगल का भर जाना ….
वैसे ही मेरी कविता पुनः ही
शब्द रूप ले लेती हैं स्वतः ही
बिना कुछ बोले बिना किसी वजह ही
किसी भूमिका को जाने बिना ही
मन मे सजा अपने शब्दो को अन्तःकरण में
उकेर देती हूँ पन्नो पर अपनी लेखनि से
ओर पाती हूँ खुद में आत्मतृप्ति सी
लेखनी चलती हैं मन मे सजे शब्दो पर
ओर उकेर कर प्रस्तुत करती हैं आपके
सन्मुख अपने भाव शब्दो मे आपकी “मंजु”
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 373 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all
You may also like:
बगुले तटिनी तीर से,
बगुले तटिनी तीर से,
sushil sarna
4178.💐 *पूर्णिका* 💐
4178.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
यदि सलाह देने की स्थिति में होता तो कई मित्रों से कहता कि आप
यदि सलाह देने की स्थिति में होता तो कई मित्रों से कहता कि आप
*प्रणय प्रभात*
ओ! मेरी प्रेयसी
ओ! मेरी प्रेयसी
SATPAL CHAUHAN
प्रकृति! तेरे हैं अथाह उपकार
प्रकृति! तेरे हैं अथाह उपकार
ruby kumari
श्री शूलपाणि
श्री शूलपाणि
Vivek saswat Shukla
प्रकाश एवं तिमिर
प्रकाश एवं तिमिर
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मुझे भी
मुझे भी "याद" रखना,, जब लिखो "तारीफ " वफ़ा की.
Ranjeet kumar patre
किसान और जवान
किसान और जवान
Sandeep Kumar
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
रमेशराज के त्योहार एवं अवसरविशेष के बालगीत
रमेशराज के त्योहार एवं अवसरविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
"सच्चाई"
Dr. Kishan tandon kranti
सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई
सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई
Shekhar Chandra Mitra
जब  भी  तू  मेरे  दरमियाँ  आती  है
जब भी तू मेरे दरमियाँ आती है
Bhupendra Rawat
रात भी तन्हाई भरी काटना ऐ मेरे दोस्त,
रात भी तन्हाई भरी काटना ऐ मेरे दोस्त,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक दिन की बात बड़ी
एक दिन की बात बड़ी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दहेज.... हमारी जरूरत
दहेज.... हमारी जरूरत
Neeraj Agarwal
।।सावन म वैशाख नजर आवत हे।।
।।सावन म वैशाख नजर आवत हे।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अक्सर समय बदलने पर
अक्सर समय बदलने पर
शेखर सिंह
जाति और धर्म के मुद्दे इतने अधिक बलशाली हैं कि
जाति और धर्म के मुद्दे इतने अधिक बलशाली हैं कि
Sonam Puneet Dubey
यदि कोई आपकी कॉल को एक बार में नहीं उठाता है तब आप यह समझिए
यदि कोई आपकी कॉल को एक बार में नहीं उठाता है तब आप यह समझिए
Rj Anand Prajapati
ज़िन्दगी की बोझ यूँ ही उठाते रहेंगे हम,
ज़िन्दगी की बोझ यूँ ही उठाते रहेंगे हम,
Anand Kumar
प्रशांत सोलंकी
प्रशांत सोलंकी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
“जागू मिथिलावासी जागू”
“जागू मिथिलावासी जागू”
DrLakshman Jha Parimal
सफलता कड़ी मेहनत और दृढ़ता की शक्ति में विश्वास करती है। अक्
सफलता कड़ी मेहनत और दृढ़ता की शक्ति में विश्वास करती है। अक्
पूर्वार्थ
हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है
हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है
Pramila sultan
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
Shweta Soni
!! राम जीवित रहे !!
!! राम जीवित रहे !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
अपनों की महफिल
अपनों की महफिल
Ritu Asooja
Loading...