शब्द मेरे तब भी कहते होंगे
शब्द मेरे तब भी कहते होंगे।
नश्वर काया छोड़ भी देगी
साथ राह में चलते चलते।
थक जाएगे पांव हमारे
कठिन राह में बढते बढते।
सब कुछ साथ नहीं देगा जब
चलूं अकेला सत्य राह पर ।
नीरवता का आलम होगा
कोई कुछ न बोल सकेगा।
जब सब मुझको सुनते होंगे ।
शब्द मेरे तब भी कहते होंगे ।
मुख हमारे पास न होगा ।
सुख दुःख का आभास न होगा ।
अच्छा बुरा जो राग न होगा।
पर नव वंशज बढते होगे।
सुनो ध्यान से गूँज उठेगी।
नीरवता में फिर कूंज उठेगी।
सब चुप हो पर काव्य हमारे
शब्द भाव में रहते होंगे ।
शब्द मेरे तब भी कहते होंगे ।।
पढ़कर मेरा शब्द काव्य का
अब भी जैसे रहे बोलते
सुन लेना शब्दों के मतलब
नहीं पास तो दुखी न होना।
याद करेंगे बाद हमारे
तो दृग मेरे भी भर आयेगे।
फेरूगा जब हाथ कपोलो पर।
आंसू तेरे बहते होंगे ।
शब्द मेरे तब भी कहते होंगे ।।
जब नश्वर काया न होगी,
सुख दुःख का आभास न होगा ।
भाव समेटे शब्द रहेंगे ।
पढ लेना कभी पृष्ट खोलकर।
सब भाव उसी में रहते होंगे ।
शब्द मेरे तब भी कहते होंगे ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र