शब्द की महिमा
शब्द की महिमा बड़ी अनोखी, महिमा हैं ये अपरंपार ।
शब्द की महिमा बड़ी निराली, महिमा हैं ये तरती पार ।।1।।
शब्द जपा जब ‘मरा’ बाल्मीकि ने, जुड़े राम से हुआ उद्धार ।
शब्द मिला जब अहिल्या को, शिला से हुआ उनका उद्धार ।।2।।
शब्द की महिमा बड़ी हैं प्यारी, महिमा हैं ये आदि अपार ।
शब्द को जपते बजरंग बैठे, मिला राम से स्नेह अपार ।।3।।
शब्द जपा जब सबरी ने तो, राम ही आए उसके द्वार ।
शब्द की धुन जब लगी ध्रुव को, जुड़ा विष्णु से हुआ उद्धार ।।4।।
शब्द की महिमा बड़ी अनोखी, महिमा हैं ये अपरंपार ।
शब्द की महिमा बड़ी दीवानी, महिमा करे ये बेड़ा पार ।।5।।
शब्द की महिमा बड़ी निराली, महिमा हैं ये मोक्ष का द्वार ।
शब्द जपा जब भक्त प्रहलाद ने, विष्णु स्वयं थे उसके द्वार ।।6।।
शब्द की महिमा बड़ी हैं प्यारी, महिमा हैं ये आदि अपार ।
शब्द मिला बचपन में मीरा को, कृष्ण ने किया उसका उद्धार ।।7।।
शब्द की महिमा बड़ी दीवानी, महिमा करे ये बेड़ा पार ।
शब्द जपा जब नचिकेता ने, काल गाल से बेड़ा पार ।।8।।
शब्द की महिमा बड़ी अनोखी, शब्द ही करते बेड़ा पार ।
शब्द जपो तुम हरपल हरि का, शब्द करेंगे बेड़ा पार ।।9।।
शब्द स्वामी और शब्द है राधा, राधा स्वामी है मुक्ति का द्वार ।
शब्द जपो तुम हरपल राधा स्वामी, शब्द करेगे भव से पार ।।10।।
शब्द की महिमा बड़ी निराली, महिमा है यह मोक्ष का द्वार ।
शब्द सुनो तुम बैठ ध्यान पे, वही शब्द है जीवन का सार ।।11।।
शब्द बिना ना कुछ भी जगत मे, शब्द ही अपने गले का हार ।
शब्द निरंतर जपते जाओ, शब्द ही तो हैं तारणहार ।।12।।
शब्द की महिमा बड़ी अनोखी, महिमा हैं ये अपरंपार….
-ललकार भारद्वाज