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28 Oct 2024 · 1 min read

शब्दों से कविता नहीं बनती

शब्दों से कविता नहीं बनती
—————————————-
आग्रह से विचारों के
कविता अंकुरती है।
प्रेम हो या विछोह
दर्पण बनती और सिहरती है।
तब कविता बनती है।
शब्दों से कविता नहीं बनती
शोषण से मुक्ति की कविताएं
कब कब लिखी गई।
शुद्ध कथ्य और तथ्य।
जब कलम हमारे तुम्हारे हाथों में
आई और छटपटाई।
दर्शन और योग जीवन नहीं है।
कर्तव्य और कर्म जीवन सही है।
द्विविधाओं से भरी कविताएं
प्रार्थनाएँ हैं।
नृप के संरक्षण में कविताएं
भटकी हुई ऋचाएँ हैं।
तन और मन पर झेलो त्रास
तब कविता बनती है।
शब्दों से कविता नहीं बनती।
कविता में दर्द का व्याकरण हो
शोषण का परिर्गहन हो।
तब कविता बनती है।
शब्दों से कविता नहीं बनती।
————————————–
8/12/23

Language: Hindi
39 Views

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