शब्दों का झंझावत🙏
शब्दों का झंझावात
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शब्दों का है खेल जगत में
इससे बड़ा ना कोई जग में
कवि की वाणी शब्द समूह
तोड़ तंगड़ जोड़ जुगाड़ मेल
भाव भावना व्यापक शब्द
उगलता आग बरसता पानी
शब्दों का अथाह सागार है
वाणी से निकला शब्दअमर
तरकश निकला तीर कमान
पुनः आपस ना कभी आता
पर प्यार वेदना छोड़ जाता
झंझट झंझा झगड़ा तगड़ा
काया माया भक्ति शक्ति शब्द
ढ़ीला ढ़ाला ढ़क्कन ढ़क्का
धक्का मुक्की ढ़ेलम ढेला
ढ़ाल तलबार युद्ध बिकराल
ठंडा गरम लचक लचीला
मिल जुल प्यार अपनापन
रंग रूप भेष भाषा हैअनेक
धर्म कर्म आस्था मज़हब है
विविध पर तन तरंगित लाल
लहु एक शब्द भाव अलगाव
शब्द रिपु बन उठता कृपाण
बंदन राखी प्रेमी का माला
मिल गले कहता ईदमुबारक
शब्दों की शक्ति ऊर्जा अक्षम
काली काल क्षण विषय विषम
निज अलगाव एहशास पराये
दूजे में अपनापन शब्द निराले
अंदाज अलग मस्तिष्क तन
तनाव प्रबंधन मुद्दा गरम नरम
शब्द झंझावातों में आग पानी
पानीपत रामायण महाभारत
अनेकों इतिहास बनी कहानी
चयनित शब्द वाणी व्यवहार
अमन चैन बन दूर करें बैचैनी
कह कविवर जग छोड़ गए
ऐसी वाणी बोलिए मन का
आपा खोए औरन को शीतल
करे आपहुँ शीतल होय ।
शब्द एक अर्थ अनेकों इनके
मोल जोल समझ व्यवहारिक
रूप श्रृंगारित साज सजाना है
प्यार मुहब्बत में जग जीना है
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तारकेशवर प्रसाद तरुण