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8 Mar 2021 · 1 min read

शबनम के दलदल में

शबनम के
दलदल में
रेशम के कीड़े से
उपज रहे हैं
मैं खुद के लिए
एक अजनबी बनती जा
रही हूं
मेरी जिन्दगी के हालात
मुझे किसी नाग से
डस रहे हैं
दर्पण में जब जब
खुद को देखती हूं तो
चेहरे पर दर्द की लकीरें
पाती हूं
यह दर्पण कब टूटेगा
इस इंतजार में मैं
पतझड़ में पेड़ से झड़
रहे
सूखे पत्तों की
जमीन से उठा उठाकर
एक एक कलियां
चुनती हूं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 345 Views
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