शपथ ( वीर रस में )
विषय – शपथ ( वीर रस में )
देश का युवा कर ले अब शपथ ।
न चलेंगे कुमार्ग पर,
धरेंगे सत्य का पथ ।।
कर ले शपथ अब युवा मन,
ना बैठेंगे हाथ पर हाथ धर ।
भ्रष्टाचारी, अनाचारी
भागें तुम्हें देख, काँपकर ।।
अब याद करलो महान प्रताप की
बरछी और तलवार को ।
न भूलो रानी लक्ष्मीबाई के,
फिरंगियों पर प्रहार को ।।
भगत सिंह और आजाद की
याद करलो तुम जवानी ।
अब न जगे तुम, तो तुम्हारी
रग में खून नहीं, है पानी ।।
याद करलो बोस के तुलादान को ।
याद करलो शहीदों के बलिदान को ।।
अब उठो, अब बढ़ो,
ना होने दो अत्याचार ।
तुम्हारे रहते न,
कर पाए कोई दुष्कार्य ।।
न तुम्हारे जीते जी होने पाए,
मातृभूमि पर प्रहार ।।
न हो धोखाधड़ी,
न छिने गरीबों का हक
मिले सबको, सबका अधिकार ।
भारत माँ के सपूतों की दहाड़ हो खूँखार ।।
एक खा ले अब तू कसम ।
तू मिटाए रूढ़िवादी रस्म ।।
न जाने पाए व्यर्थ तुम्हारा ये जीवन,
करलो ये शपथ ।
अहिंसा और शांति से जब न बने बात,
तो धर लो, उग्रता का पथ ।।
पर ध्येय तुम्हारा हो,
बुराई का नाश करना ।
जो आँख उठाए इज्जत पर, तुम्हारी,
उसका सर्वनाश करना ।।
पर विनाश और सर्वनाश में भूल न जाना,
भाई, भाई को ।
हिन्दुस्तान का वासी तू,
तू जाने, पीर पराई को ।।
– नवीन कुमार जैन